जब तू मिली थी मुझसे पहली बार I
मैंने तारीफो की बना दी थी तेरी कहानिया हज़ार II
एक दिया था तुझे लफ्जों का हूर I
उसी वक़्त मैंने तारीफो में कहा था तुझे कोहिनूर II
तू जीना सिखा रही थी मुझे I
मैं मोहब्बत में मरने लग गया तुझपे II
लत लगाली मैंने खुद को तेरी I
उसी दिन से बनी तू कमजोरी मेरी II
चाहता था बहुत मै तुझे I
कई बार कहा भी मैंने तुझसे II
फिर सोंच कर हमारी दोस्ती का हाल I
मैंने बदल दिए बातों को देके तुझे एक बेकार सी मिसाल II
अब मै टुटा हूँ I
शयद तुझसे रूठा हूँ II
मनाले मुझे आके एक बार I
करले तु मुझसे थोड़ा सा प्यार II
देदे मुझे कोई आस I
ताकि मुझमें जीने के लिए बची रहे साँस II
वो जो मै तेरी बेवजह तारीफ करता हूँ वो सिर्फ लफ्ज़ नहीं हालत है मेरे दिलके I
कम्बक्त तुझे क्यों कुछ भी पता नहीं चला दूजी बार मुझसे मिलके II
मै चला गया बिना तेरी तारीफ किये उस महफ़िल से I
फिर भी कुछ आवाज़ न निकली तेरे दिल से II
अब मै टुटा हूँ I
शयद तुझसे रूठा हूँ II
मनाले मुझे आके एक बार I
करले तु मुझसे थोड़ा सा प्यार II
जब जब शाम ढलेगी मुझे तेरी कमी खलेगी I
आऊंगा मैं तेरे पास बनके तेरी धडकनों की साँस II
फिर करूँगा जी भर के तेरी तारीफ, लुँगा तेरे दिल का हाल I
फिर लौट जाऊंगा अपने घर की ओर बिना सुनाये तुझे अपने दिल का ख्याल II
अब बस आखरी ख्वाहिश है ये मेरी की जीलूँ तेरे साथ I
करदूँ मै कुछ पल और तेरी तारीफ और मर जाऊं लेके अपने हाथों में तेरा हाथ II
और मर जाऊं लेके अपने हाथों में तेरा हाथ II